जारी है मानसून सीजन ! क्या होता है येलो, आरेंज और रेड अलर्ट का मतलब ? जानें और बरतें सावधानी

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न्यूज़ डेस्क: मानसून (Monsoon) के सक्रिय होने के बाद देश के कई हिस्सों में कहीं हल्की तो कहीं भारी बारिश का दौर जारी है।  मौसम विभाग कुछ जगहों के लिए कभी येलो तो कुछ जगहों के लिए ऑरेंज के साथ-साथ रेड अलर्ट भी जारी करता है। क्या आपको पता है कि मौसम विभाग किस परिस्थिति में कौन सा अलर्ट जारी करता है? आइए इस लेख के जरिए जानते है कि ये अलर्ट कब और क्यों जारी किए जाते है…..

कब जारी किया जाता है येलो अलर्ट?

येलो अलर्ट लोगों को मौसम के प्रति सतर्क रहने और ऑरेंज अलर्ट किसी भी समस्‍या के लिए तैयार रहने के लिए जारी किया जाता है.जब किसी राज्‍य में कई जगह पर भारी बारिश की आशंका होती है तो येलो अलर्ट जारी किया जाता है. बता दें कि येलो अलर्ट में 64.5 से 115.5 मिमी तक बारिश होने की उम्‍मीद होती है. आम लोगों के लिए येलो अलर्ट का मतलब है कि उन्‍हें मौसम से जुड़ी सूचनाओं के बारे में अपडेट रहना चाहिए. मौसम विभाग की ओर से येलो अलर्ट जारी करने का मतलब है कि अभी कोई खतरा नहीं है, लेकिन मौसम कभी भी खतरनाक हालात बना सकता है. लिहाजा, लोगों को इसके लिए तैयार रहना चाहिए. इसका मकसद सिर्फ लोगों को मौसम के प्रति सतर्क करना रहता है. इसमें भारी बारिश के 2 घंटे तक होने की आशंका रहती है. साथ ही बाढ़ आने की आशंका भी रहती है.

तेज हवा के साथ बारिश में ऑरेंज अलर्ट

ऑरेंज अलर्ट जारी किए जाने का मतलब है कि 115.6 मिमी से 204.4 मिमी तक बारिश हो सकती है. दूसरे शब्‍दों में कहें तो ऑरेंज अलर्ट के दौरान बहुत भारी बारिश हो सकती है. इसका सीधा मतलब है कि मौसम खराब हो गया और लोगों को हालात पर नजर बनाए रखने के साथ ही बाहर भी नहीं निकलना है. अगर बाहर निकलना बेहद जरूरी हो तो बहुत ज्‍यादा सावधानी के साथ निकलें. चक्रवातीय तूफान के दौरान हवा की रफ्तार 65 से 75 किमी प्रति घंटा होने की आशंका पर मौसम विभाग ऑरेंज अलर्ट जारी करता है. ऑरेंज अलर्ट के दौरान खतरनाक बाढ़ आने की आशंका बढ़ जाती है. ऑरेंज अलर्ट के दौरान मौसम से होने वाले सभी प्रभावों के लिए तैयार रहें.

बहुत भारी बारिश के लिए रेड अलर्ट

जब किसी इलाके में या एक साथ कई इलाकों में बहुत भारी बारिश होती है, तो रेड अलर्ट जारी किया जाता है. इसे एक्टिवली हैवी रेनफॉल भी कहा जाता है. इसमें 204.4 मिमी से ज्‍यादा बारिश होने की आशंका रहती है. बादल फटने, नदियों का पानी खतरे के निशान से ऊपर जाने पर रेड अलर्ट जारी किया जाता है. इसके अलावा पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन और पेड़ गिरने की घटनाएं होने पर भी रेड अलर्ट जारी किया जाता है. इस दौरान लोगों को जानमाल की सुरक्षा के लिए बहुत ज्‍यादा सावधानी बरतने की जरूरत होती है. रेड अलर्ट मौसम की खतरनाक स्थिति का संकेत होता है. हालांकि, बहुत गंभीर हालात बनने पर ही रेड अलर्ट जारी किया जाता है.

मौसम ठीक होने पर ग्रीन अलर्ट

ग्रीन अलर्ट का मतलब है कि अब मौसम ठीक हो चुका है. आपको अब मौसम से जुड़ा कोई भी खतरा नहीं है. अमूमन ग्रीन अलर्ट जारी नहीं किया जाता है. अब जानते हैं कि अलर्ट जारी होने पर हमें किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि जानमाल का कम से कम नुकसान झेलना पड़े.

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