एसएसपी अजय सिंह ने दरोगा और दो सिपाहियों को सुनाई अनोखी ‘सजा’, हर तरफ हो रही चर्चा, पढ़ें पूरा मामला

खबर उत्तराखंड

हरिद्वार: लापता व्यक्ति का शव मिलने के बाद गुमशुदगी दर्ज करने और बिना शिनाख्त शव का लावारिस में अंतिम संस्कार करने के मामले में लापरवाही साबित होने पर एसएसपी अजय सिंह ने एक दरोगा और दो सिपाहियों को हरिद्वार में दो दिन तक अलग-अलग श्मशान घाट में आठ-आठ घंटे रहकर शवों के शवदाह में सहयोग करने की अनोखी सजा सुनाई। एसएसपी के सजा सुनाने के पीछे मंशा है कि फिर से ऐसी लापरवाही की पुनरावृत्ति न हो। रुड़की के रामनगर गली नंबर एक निवासी हरीश चांदना 20 अक्तूबर को लापता हो गए थे। लापता होने पर उनकी पत्नी ने गंगनहर कोतवाली में शिकायत की थी। बताया था कि उनके कमरे से सुसाइड नोट भी बरामद हुआ था, लेकिन इस मामले में गंगनहर कोतवाली पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज नहीं की थी। 29 अक्तूबर को परिजनों को पता चला था कि सिविल अस्पताल में हरीश चांदना का पोस्टमार्टम हुआ है। परिजन सिविल अस्पताल पहुंचे तो कपड़ों से शिनाख्त की। जहां पता चला था कि लापता होने के तीन दिन बाद रहीमपुर रेलवे फाटक के पास हरीश का शव मिला था, लेकिन शिनाख्त न होने पर पुलिस ने 72 घंटे बाद लावारिस में अंतिम संस्कार कर दिया था।

इसके बाद पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज की थी। इस मामले की जांच एसएसपी अजय सिंह ने एसपी देहात एसके सिंह को जांच सौंपी थी। एसपी देहात ने परिजनों और कोतवाली स्टाफ के बयान दर्ज किए थे। जांच में सामने आया कि पुलिसकर्मियों में परस्पर संवाद की कमी थी और अज्ञात शव की पहचान के लिए पर्याप्त प्रयास न करने व अनजाने में लापरवाही बरती गई है। जांच में दरोगा नवीन सिंह और सिपाही चेतन सिंह व संतोष को दोषी पाया गया। इस पर एसएसपी ने तीनों को 14 और 15 अक्तूबर को खड़खड़ी श्मशान घाट, सती घाट व चंडीघाट श्मशान पर आठ-आठ घंटे मौजूद रहकर आने वाले शवों के शवदाह में सहयोग करने की सजा सुनाई है, ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही की पुनरावृत्ति न हो सके।

हरीश चांदना प्रकरण में बरती गई लापरवाही का कर्मियों को पश्चाताप हो और वह दिनरात की नौकरी के बीच सामाजिक व्यवस्थाओं एवं भावनाओं को समझें। इसलिए ऐसी सजा दी गई है।

स्वप्न किशोर सिंह, एसपी देहात

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *