भूकंप के अलर्ट का दायरा बढ़ाने के लिए उत्‍तराखंड में लगाए जाएंगे 350 नए सेंसर, बचाव को मिल सकेगा 20 से 40 सेकंड

खबर उत्तराखंड

देहरादून: भूकंपीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड में भूकंप आने पर इससे बचाव के दृष्टिगत अलर्ट का दायरा बढ़ेगा। इसके लिए 350 नए सेंसर लगाने का निश्चय किया गया है, ताकि भूकंप की प्री-वेब का अधिक प्रभावी ढंग से मापन होने के साथ भूकंप अलर्ट एप के माध्यम से आमजन को तत्काल अलर्ट मिल सके।

अभी 70 स्थानों पर ही सायरन की व्यवस्था

यही नहीं, प्रदेशभर में आमजन को सूचना देने के उद्देश्य संवेदनशील और अधिक जनसंख्या वाले 800 स्थानों पर सायरन लगाए जाएंगे। अभी 70 स्थानों पर ही सायरन की व्यवस्था हैं।

चार मैग्नीट्यूड तक के भूकंप का मिलेगा अलर्ट

इसके अलावा भूकंप अलर्ट एप से आने वाले समय में चार मैग्नीट्यूड तक के भूकंप का अलर्ट भी मिल सकेगा। इस सिलसिले में शासन ने 55 करोड़ रुपये की कार्ययोजना का प्रस्ताव राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को भेजा है। सचिव आपदा प्रबंधन डा रंजीत सिन्हा ने इसकी पुष्टि की।

ये जिले अति संवेदनशील जोन-पांच के अंतर्गत

भूकंप के दृष्टिकोण से देखें तो उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर व पिथौरागढ़ जिले अति संवेदनशील जोन-पांच के अंतर्गत हैं। हरिद्वार, पौड़ी, अल्मोड़ा, ऊधमसिंह नगर, नैनीताल व चंपावत जिले संवेदनशील जोन-चार में आते हैं।

देहरादून और टिहरी दोनों जोन में

देहरादून और टिहरी जिले ऐसे हैं, जो दोनों जोन में आते हैं। इस सबको देखते हुए शासन ने पिछले वर्ष भूकंप आने पर इसकी तरंगों की परिधि में आने वाले क्षेत्रों में आमजन को अलर्ट करने के उद्देश्य से आइआइटी रुड़की के सहयोग से उत्तराखंड भूकंप अलर्ट एप विकसित किया। इसके माध्यम से 5.5 मैग्नीटयूड से अधिक वाले भूकंप आने पर अलर्ट मिलता है।

बचाव को मिल सकेगा 20 से 40 सेकंड

अब इस अलर्ट सिस्टम को अधिक प्रभावी बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। सचिव आपदा प्रबंधन डा रंजीत सिन्हा ने बताया कि भूकंप की प्री-वेब आने पर राज्य में स्थापित अलर्ट सिस्टम जगह-जगह लगे सेंसर के माध्यम से इन्हें पकड़ता है और फिर भूकंप अलर्ट एप से अलर्ट जारी होता है। उन्होंने बताया कि प्री-वेब के बाद एस-वेब आती है। प्री-वेब आते ही अलर्ट मिलने पर एस-वेब से बचाव को 20 से 40 सेकंड का समय मिल जाता है। डा सिन्हा ने बताया कि भूकंप की प्री-वेब का अधिक बारीकी से अध्ययन हो सके, इसके लिए राज्यभर में भूकंप अलर्ट सिस्टम को सशक्त बनाने को सेंसर, एप्लीकेशन उच्चीकरण व आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

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