दुखद ! बंदर ने जहर का पैकेट सड़क पर फेंका, बच्चों ने चूरन समझ खाया, एक मासूम की मौत,

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बदायूं: बदायूं के बगरैन कस्बे से हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां शनिवार दोपहर बंदर के फेंके गए पैकेट में भरे जहर को चूरन समझकर खाने से दो वर्षीय बच्चे आतिफ अली की मौत हो गई। साथ में यही जहर खाने वाले उसके भाई राहत अली उर्फ ईशान (4) और पड़ोस की मन्नत (5) की हालत बिगड़ गई। गुड्डू अली के दोनों बेटे आतिफ अली व राहत अली और पड़ोस के तहसीम की बेटी मन्नत दोपहर करीब एक बजे घर के बाहर सड़क पर खेल रहे थे। परिवार वालों के अनुसार, उसी समय एक बंदर के फेंके गए पैकेट में भरे जहर को खाने से कुछ ही देर में तीनों बच्चों की हालत बिगड़ गई। उनके मुंह से झाग आने लगा। मोहल्ले वालों की नजर पड़ी तो शोर मचाया। पता चलने पर परिजन मौके पर पहुंचे।

उन्होंने वहां नजदीक में ही जहर का पैकेट पड़ा देखा। गुड्डू अली तुरंत दोनों बेटों को बिसौली के निजी अस्पताल ले गए। वहां आतिफ की मौत हो गई, जबकि इलाज से दूसरे बेटे राहत की हालत कुछ ठीक हो गई। मन्नत को परिवार वालों ने घी पिलाकर उल्टी करा दी थी, इससे उसकी हालत में भी सुधार बताया जा रहा है। आतिफ के शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया।

बंदर ने गंध सूंघकर छोड़ दिया था पैकेट

वजीरगंज क्षेत्र के कस्बा बगरैन में बंदर कहीं से खाने की चीज समझकर ही जहर का पैकेट उठा लाया था। बंदर ने तो गंध सूंघकर उसे छोड़ दिया, लेकिन मौत का यह सामान वहां खेल रहे तीन मासूमों ने उठा लिया। बच्चों ने उसे चूरन का पैकेट समझा। आपस में बांटकर चाटने लगे। इससे एक मासूम की जान चली गई और दो की हालत बिगड़ गई।

पैकेट में कौन सा जहर था,  वह बंदर के हाथ कहां से-कैसे लगा, इसकी पुलिस पड़ताल कर रही है। हालांकि बच्चों के परिजनों का अनुमान है कि शायद बंदर किसी के घर से पैकेट उठा लाया होगा। पैकेट में कोई तीव्र कीटनाशक है, जिसे फसलों में इस्तेमाल किया जाता है। पैकेट पर कुछ लिखा न होने से उसके बारे में जानकारी जुटाना मुश्किल हो रहा है।

कस्बा निवासी गुड्डू अली बढ़ईगीरी का काम करते हैं। आतिफ अली उनके तीन बेटों में सबसे छोटा था। उनका सबसे बड़ा बेटा अलशैज (8) भी हादसे के दौरान घर के बाहर खेल रहा था, लेकिन वह आतिफ और राहत से कुछ दूर था। वहां पड़ोस की मन्नत के साथ आतिफ और राहत ही खेल रहे थे। पहले तो वह भी नहीं समझ पाया कि आखिर तीनों को हुआ क्या है। जब तीनों के मुंह से झाग आने लगे तो उसने शोर मचाया। परिवार के लोग पहुंचे तो पास में ही जहर का खाली पैकेट पड़ा था।

कुछ सफेद पाउडर जैसा पदार्थ पैकेट में था। बच्चों के हाथों में वही पाउडर लगा था। उस वक्त मन्नत होश में थी। उसने बताया कि पैकेट एक बंदर लाया था। वह यहां छोड़कर चला गया। उन लोगों ने पैकेट खोलकर उसे चरन समझकर खा लिया।

मन्नत ने थोड़ा चाटने के बाद थूक दिया था

परिवार वालों का कहना है कि मन्नत ने भी पैकेट से सफेद पाउडर लेकर उसे चखा था, लेकिन उसका स्वाद खराब लगने पर थूक दिया था। इतने से ही उसकी भी हालत खराब हो गई थी। घर वालों ने उसे घी पिलाकर उल्टी करा दी थी। इससे उस पर जहर का ज्यादा असर नहीं हुआ।

डॉ. मनोज माहेश्वरी ने कहा कि परिवार वाले जो जहर साथ लाए थे, वह कागज की पुड़िया में था। जहर खाने से जिस तेजी से बच्चों की हालत बिगड़ी और एक की मौत हो गई, उससे इतना तो साफ है कि जहर काफी घातक था। एक बच्चा मृत अवस्था में ही लाया गया था। दूसरे की हालत काफी गंभीर थी। उपचार से अब उसकी हालत में सुधार है।

एसडीएम बिसौली कल्पना जायसवाल ने कहा कि हादसे की सूचना पर मौके पर पुलिस टीम को भेजा गया है। पुलिस जांच कर रही है कि आखिर कहां से जहर आया था। इसमें हमने भी अपनी टीम लगाई है, जिससे सच्चाई पता चल सके। पूरे मामले की छानबीन के बाद ही कोई कार्रवाई की जाएगी।

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