जोशीमठ भूधंसाव मामला: अब तक 47 परिवारों को किया गया शिफ्ट, सीएम की उच्चस्तरीय बैठक आज, जानिए पूरा घटनाक्रम…

खबर उत्तराखंड

चमोली: जोशीमठ शहर में भूधंसाव की जद में 500 से ज्‍यादा भवनों में दरारें आ गई हैं। अब इस मसले पर सरकार गंभीरता से कदम आगे बढ़ा रही है। इस कड़ी में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है। इसमें मुख्य सचिव डा एसएस संधु व दोनों अपर मुख्य सचिव समेत वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहेंगी। मुख्यमंत्री शनिवार को जोशीमठ जाकर स्थिति का जायजा भी लेंगे। जोशीमठ में लगातार हो रहे भूधंसाव के मामले पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पैनी नजर रखे हुए हैं। वह चार दिन पूर्व जोशीमठ की स्थिति को लेकर समीक्षा बैठक भी कर चुके हैं। उन्होंने प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री के निर्देश पर क्षेत्र का दोबारा अध्ययन करने के सचिव आपदा प्रबंधन डा रंजीत कुमार सिन्हा के नेतृत्व में विशेषज्ञों की टीम जोशीमठ पहुंच चुकी है।

गुरुवार को पहुंची थी आपदा प्रबंधन व भूवैज्ञानिकों की टीम

सरकार के निर्देश पर गुरुवार को गढ़वाल कमिश्नर के अलावा आपदा प्रबंधन व भूवैज्ञानिकों की टीम जोशीमठ पहुंची। टीम ने प्रशासन के अधिकारियों के साथ नगर की स्थिति पर चर्चा की। देर शाम को टीम ने शहर के उन होटलों का भी निरीक्षण किया, जिनमें दरारें आई हैं। इसके अलावा भू विज्ञानियों की टीम जेपी कालोनी में भी पहुंची और पानी के रिसाव को देखा। गुरुवार को गढवाल कमिश्नर सुशील कुमार, आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा, आपदा प्रबंधन के अधिशासी अधिकारी पीयूष रौतेला, एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट रोहितास मिश्रा, भूस्खलन न्यूनीकरण केंद्र के वैज्ञानिक सांतुन सरकार, आइआइटी रुड़की के प्रोफेसर डा.बीके माहेश्वरी सहित तकनीकी विशेषज्ञों की पूरी टीम जोशीमठ पहुंची। गढ़वाल कमिश्नर एवं आपदा प्रबंधन सचिव ने तहसील जोशीमठ में अधिकारियों की बैठक लेते हुए स्थिति की समीक्षा की। विशेषज्ञों की टीम ने अधिकारियों से नगर में हो रहे भूधंसाव को लेकर जानकारी जुटाई तथा अब तक की कार्रवाई पर चर्चा की।

गुरुवार को 15 परिवारों को शिफ्ट किया गया

जोशीमठ में भूधंसाव का दायरा बढ़ता जा रहा है, जिससे पूरे शहर में दहशत का माहौल है। जिला प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से गुरुवार को 15 परिवारों को शिफ्ट किया गया है, जबकि अब तक 47 परिवारों को सुरक्षित जगह पर ले जाया गया है। इन परिवारों को नगरपालिका, ब्लाक, बीकेटीसी गेस्ट हाउस, जीआइसी, गुरुद्वारा, इंटरमीडिएट कालेज, आइटीआइ तपोवन सहित विभिन्न सुरक्षित स्थानों पर रहने की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, 60 से ज्यादा किरायेदार और मकान मालिकों ने खुद ही सुरक्षित स्थानों पर शरण ली है। प्रभावितों की मानें तो आठ सौ से ज्यादा घरों में दरार आई है, जिन पर खतरा मंडरा रहा है।

जिला प्रशासन की ओर से चिह्नित करने का काम लगातार किया जा रहा है

भूधंसाव बढ़ने से खतरे की जद में आए भवनों को भी जिला प्रशासन की ओर से चिह्नित करने का काम लगातार किया जा रहा है, ताकि कोई जानमाल का नुकसान न हो। राहत शिविरों में बिजली, पानी, भोजन, शौचालय एवं अन्य मूलभूत व्यवस्थाओं के लिए नोडल अधिकारी नामित करते हुए जिम्मेदारी दी गई है। जिलाधिकारी हिमांशु खुराना भी लगातार स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं। अपर जिलाधिकारी डा. अभिषेक त्रिपाठी एवं संयुक्त मजिस्ट्रेट डा. दीपक सैनी सहित प्रशासन की टीम मौके पर हालात का जायजा लेने में जुटी है। यही नहीं, भूधंसाव के खतरे को देखते हुए एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और पुलिस सुरक्षा बल को अलर्ट मोड पर रखा गया है।

  • जोशीमठ की कुल आबादी- 30000 से अधिक
  • शहर में भवन- 5000 से अधिक
  • प्रभावित क्षेत्र में कितने भवन- सरकारी आंकड़े 561, गैरसरकारी आंकड़े 800
  • खतरे में कितने भवन-सरकारी-10, निजी 700 व व्यावसायिक 90

कब क्या हुआ:

  • नवंबर 2021: जोशीमठ शहर में नवंबर 2021 में भूधंसाव हुआ था।
  • जून 2022: स्वतंत्र भूवैज्ञानिकों ने सर्वे किया और भूधंसाव के लिए एनटीपीसी की जलविद्युत परियोजना की टनल को मुख्य रूप से जिम्मेदार बताया था।
  • अगस्त 2022: वाडिया, आइआइटी रुड़की व जीएसआइ के वैज्ञानिकों ने सर्वे किया और आपदा प्रबंधन के डारेक्टर पीयूष रौतेला के नेतृत्व में सितंबर में रिपोर्ट दी, जिसमें पानी निकासी, सुनियोजित निर्माण, सीवरेज ट्रीटमेंट सहित अन्य सुझाव दिए गए थे, लेकिन इन पर अमल नहीं हुआ।

प्रभावित यहां होंगे शिफ्ट

नगर पालिका गेस्ट हाउस, टूरिस्ट लाज, माधव आश्रम, प्राथमिक विद्यालय, मंदिर समिति गेस्ट हाउस, ज्योतिर्मठ आश्रम, गुरुद्वारा, इंटर कालेज, मिलन केंद्र (इनमें 400 से अधिक व्यक्तियों के रहने की व्यवस्था)

प्रभावित क्षेत्र

गांधी नगर, मारवाड़ी, लोअर बाजार, सिंहधार, मनोहर बाग, अपर बाजार, सुनीलगांव, परसारी, रविग्राम

कितने परिवार शिफ्ट किए

  • सरकारी आंकड़ा, 47
  • घरों को छोड़कर गए मकान मालिक, 10
  • क्षतिग्रस्त घरों को छोड़कर गए किरायेदार, 50 से अधिक
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