गंभीर आरोपों से घिरे पिटकुल के एमडी ! RTI एक्टिविस्ट ने उठाए कई सवाल, क्या MD देंगे जवाब ?

खबर उत्तराखंड

देहरादून: पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड के प्रभारी प्रबंध निदेशक पीसी ध्यानी के कार्यकाल को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता अनिल चंद्र बलूनी ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं। हाल ही में पीसी ध्यानी का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ाया गया है। बता दें कि पीसी ध्यानी का कार्यकाल विगत 2 फरवरी को पूरा हो रहा था। पीसी ध्यानी को निदेशक मानव संसाधन के अलावा पिटकुल में प्रबंध निदेशक की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल चंद्र बलूनी ने कहा कि पूर्व में पीसी ध्यानी के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगे हैं। उन्होंने कहा कि पीसी ध्यानी पिटकुल के एमडी पद के लिए अयोग्य है। इस पद पर सिर्फ इंजीनियर ही आसीन हो सकते हैं। लेकिन ध्यानी अपने धनबल और पहुंच के बल पर अयोग्यता के बावजूद प्रभारी एमडी बन गए हैं। बलूनी ने कहा कि पीसी ध्यानी जैसे लोग सरकार के जीरो टॉलरेंस नीति पर परिहास करते हैं। एक तरफ वर्तमान सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात करती है तो दूसरी तरफ उनके अधिकारी बैकडोर से भ्रष्ट और अयोग्य व्यक्ति को बड़े पदों पर बिठाती है।

बलूनी ने ध्यानी पर गंभीर आरोप लगाते हुए यह भी कहा कहा कि ध्यानी के खिलाफ पीएमओ में शिकायत की गई थी, जिसकी जांच विजिलेंस के पास भेजी गई थी। यह जांच जिस सचिव के हस्ताक्षर से भेजा उसी सचिव ने आखिर किस दबाव में या वजह से उन्हें प्रभारी एमडी बनाया है यह गंभीर जांच का विषय है। उन्होंने कहा कि क्या उत्तराखंड के अधिकारी इतने बड़े हो चुके हैं कि पीएमओ के आदेश को भी दरकिनार कर रहे हैं? बलूनी में एक के बाद एक तमाम आरोप लगाते हुए कहा कि यह बेहद ही हास्यास्पद है कि जिस आरोपों की जांच के लिए ऊर्जा सचिव को जिम्मेदारी सौंपी गई थी लेकिन ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने वही जांच पीसी ध्यानी को ही सौंप दी है। उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति खुद अपनी जांच कैसे कर सकता है? इसके अलावा पीसी ध्यानी के कार्यकाल को बढ़ाए जाने पर भी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल चंद बलूनी ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा की वर्तमान की सरकार इस मुद्दे पर जांच करा कर ध्यानी को तुरंत पद से हटाए वरना मजबूरी में उन्हें कोर्ट का रास्ता अपनाना पड़ेगा।

आरटीआई एक्टिविस्ट बलूनी यहीं नहीं रुके बल्कि पीसी ध्यानी पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने, उनके खिलाफ बोलने पर अलग-अलग धाराओं में मुकदमा दर्ज कराने, गाली गलौज करने, धमकाने का भी आरोप लगाया और कहा कि जो व्यक्ति ध्यानी के खिलाफ आवाज उठाता है उन्हें ध्यानी गलत तरीके से मुकदमे में फंसाता है या फिर उनके गुंडे डराते धमकाते हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी एक पत्रकार द्वारा खबर लिखने पर उनके खिलाफ गलत मुकदमा दर्ज कराया गया और बार-बार धमकाया गया अब मेरे मित्रों को बुलाकर लगातार धमकाया जा रहा है। उन्हें भी ध्यानी से जान का खतरा है यही वजह है कि उन्हें पिटबुल के एमडीपीसी ध्यानी पर मुकदमा दर्ज कराना पड़ा।

आरटीआई एक्टिविस्ट बलूनी ने कहा कि लोकतंत्र में सबको अपनी बात रखने की आजादी है लेकिन जब कोई व्यक्ति कानून से बड़ा अपने आप को समझने लगता है तो उनके खिलाफ कहीं न कहीं से आवाज जरूर उठनी चाहिए इसीलिए आज वह प्रेस के सामने अपनी बात रखने आए हैं। बलूनी ने कहा कि वह आंदोलनकारी है और लाठी-डंडे खाकर इस राज्य को बनाया है। ऐसे में पीसी ध्यानी जैसे भ्रष्टतम अधिकारी के हाथों इस राज्य को लूटने नहीं देंगे। उन्हें अपनी चिंता नहीं है लेकिन अपने बच्चे और उत्तराखंड के भविष्य की चिंता है।

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