Graphic Era के वैज्ञानिक का कमाल: इंसानी तन में बदलाव हो या Multistory Building पर ख़तरा,आगाह कर देगी `झिल्ली’

खबर उत्तराखंड

देहरादून: देश के प्रमुख Educational Group में तेजी से शुमार हो रहे Graphic Era के वैज्ञानिक डॉ वारिज पंवार ने ऐसा कमाल का आविष्कार किया है, जो मानव जाति के लिए बहुत उपयोगी साबित होगी.उन्होंने एक झिल्ली की खोज की है, जिसके जरिये इंसानी तन पर छोटे से घातक परिवर्तन से ले के Multistory Building पर आने वाले किसी भी खतरे को आगाह किया जा सकेगा.

ग्राफिक एरा के वैज्ञानिक पिछले कुछ सालों में लगातार नई खोजों के जरिये अविष्कार की दुनिया में नए-नए कीर्तिमान कायम कर रहे हैं. ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक डॉ वारिज ने इस बार ऐसी Membrane तैयार करने में सफलता पाई है जो इंसानी शरीर और बहुमंजिली इमारत से जुड़े खतरों के बारे में समान रूप से आगाह कर देगी.

Graphic Era ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के प्रमुख डॉ कमल घनशाला ने इस खोज के लिए वैज्ञानिक डॉ वारिज पंवार को बधाई देते हुए कहा कि यह आविष्कार मानव जाति के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा। झिल्ली के जरिये शरीर में होने वाले किसी भी किस्म के बदलाव से लेकर इमारतों की मजबूती तक की बहुत आसानी से निगरानी की जा सकेगी। ग्राफिक एरा में नई खोजों का सिलसिला जारी रहेगा. कुछ बहुत महत्वपूर्ण खोजों के पेटेंट कराने की प्रक्रिया चल रही है।

वैज्ञानिक डॉ पंवार ने बताया कि कार्बन नैनो फाइबर और पौली इलेक्ट्रोलाइट को पौलिमर से जोड़कर यह खास Membrane तैयार की गई है। ये इंसानी त्वचा जैसी महीन होगी. इसको शरीर पर लगाने से माइक्रो सिग्नल भी बाखूबी पकड़ में आ जाएंगे। इससे सांसों में होने वाले उतार चढ़ाव, ब्लड प्रेशर, ह्रदयगति, दर्द, हेल्दी टिश्यू को तुरंत पहचाना जा सकता है।

उन्होंने कहा कि अभी तक इंसानी त्वचा जैसी मैम्ब्रेन तैयार नहीं हो सकी थी.विभिन्न डिवाइस के इस्तेमाल के बावजूद बहुत सूक्ष्म संकेतों को पकड़ना मुश्किल था। इस आविष्कार से पुलों, टावर और बहुमंजिली इमारतों की लीकेज, मजबूती और उनमें होने वाले बदलावों की सूचना तुरंत मिल सकती है। झिल्ली को इलेक्ट्रानिक डिवाइस से जोड़कर शरीर और भवनों की स्थिति पर नजर रखी जा सकेगी। PhD Student मयंक चतुर्वेदी ने डॉ वारिज का हाथ आविष्कार में बंटाया।

केंद्र सरकार ने इस आविष्कार का पेटेंट 20 वर्षों के लिए ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के नाम दर्ज कर लिया है। डॉ वारिज गन्ने के रस से मैम्ब्रेन बनाने की तकनीक और आयनिक पोलिमर मैटर नैनो कम्पोजिट मैम्ब्रेन की खोज भी कर चुके हैं। इनसे दुर्गम स्थानों पर बिजली के बिना वायरलेस और मोबाइल चार्ज किए जा सकते हैं। इनके पेटेंट भी ग्राफिक एरा के नाम दर्ज हैं।

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