मुस्लिम लड़कियों की शादी की उम्र अब सुप्रीम कोर्ट करेगा तय, इलाहाबाद HC के फैसले के बाद उठा मामला

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट मुस्लिम लड़कियों की शादी की उम्र के मामले पर विचार करेगा। मुस्लिम पर्सनल कानून में लड़की के यौवनावस्था प्राप्त करने यानी 15 वर्ष की उम्र के बाद शादी की अनुमति है। शीर्ष अदालत ने हादिया अखिला और साफिन जहां के मामले में 2018 के अपने फैसले में माना था कि यौवन प्राप्त करना एक वैध मुस्लिम विवाह के लिए एक शर्त है। यह कानूनी मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद उठा है। हाईकोर्ट ने 16 साल की मुस्लिम लड़की की शादी को अवैध करार दिया था और उसे नारी निकेतन भेज दिया था।

सभी हाईकोर्ट तीन महीने में स्थापित करें आरटीआई पोर्टल

सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट को तीन महीने के भीतर ऑनलाइन आरटीआई पोर्टल स्थापित करने का निर्देश दिया है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने सूचना के अधिकार आवेदनों की ई-फाइलिंग और हाईकोर्ट में पहली अपील के लिए ऑनलाइन पोर्टल स्थापित करने की व्यवस्था की मांग वाली याचिका पर यह निर्देश पारित किया।

सुप्रीम कोर्ट इस बात की भी पड़ताल करेगा कि अगर मुस्लिम पर्सनल लॉ और संसद से पारित कानून के बीच टकराव की स्थिति बन जाए तो क्या होगा? किसे लागू माना जाएगा? जब बाल विवाह निषेध अधिनियम और मुस्लिम पर्सनल लॉ के बीच टकराव हो, जो एक मुस्लिम लड़की को 15 साल की उम्र में युवावस्था प्राप्त करने पर शादी करने की अनुमति देता है, तो कौन लागू होगा?

जस्टिस अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ को लड़की की ओर से पेश अधिवक्ता दुष्यंत पाराशर ने बताया कि वह अब बालिग हो गई है। उसे आश्रय गृह से मुक्त कर दिया गया है। वह लड़के के साथ रह रही है। पीठ ने पाराशर को लड़की की ओर से एक हलफनामा दायर करने को कहा। कोर्ट ने मामले को दो सप्ताह के बाद आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

सुनवाई के दौरान लड़की के वकील पाराशर ने कहा कि इस मामले में कानून का एक महत्वपूर्ण सवाल शामिल है। पर्सनल लॉ मुस्लिम लड़की को 15 साल की उम्र में युवावस्था प्राप्त करने पर अपनी पसंद के लड़के से शादी करने की अनुमति देता है। दूसरी तरफ संसद की ओर से पारित कानून बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006, इंडियन मेजोरिटी एक्ट, 1875 हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में जहां व्यक्तिगत धार्मिक अधिकार शामिल हैं, वहां कौन सा कानून लागू होगा? पीठ ने कहा कि वह कानून के सवाल को खुला छोड़ रही है और इस पर गौर करेगी।

न्यूज़ सोर्स – By अमर उजाला 

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