मुस्लिम समुदाय के वोटर अब किसी एक दल के नहीं ? UP निकाय चुनाव मे सामने आयें चौंकने वाले आंकड़े…मुस्लिम वोटरों पर हक़ जताने वालों को संभलना होगा !

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मुसलमान वोट पर किसी एक दल का अधिकार नहीं रहा. सपा-बसपा के करीब रहा मुस्लिम मतदाता बीजेपी को भी खुलकर वोट दे रहा है. बीजेपी भी मुस्लिम समुदाय पर भरोसा जता रही है. यह निचोड़ निकाय चुनावों के साथ ही हाल में हुए अन्य चुनावों का भी है. मुस्लिम बाहुल्य देवबंद नगर पालिका अध्यक्ष पद पर पहली बार बीजेपी के विपिन गर्ग ने जीत दर्ज की. साल 2022 विधानसभा चुनाव में भी यहां से बीजेपी के बृजेश सिंह ने चुनाव जीता था.

मुस्लिम बाहुल्य और सपा के गढ़ कहे जाने वाले मुरादाबाद में मेयर सीट पर विनोद अग्रवाल की लगातार तीसरी जीत इसे पुख्ता करती है. सपा-बसपा से मुस्लिम मतों की दूरी का एक प्रमाण यह भी है कि बसपा ने मेयर के 11 टिकट मुस्लिम को दिए, लेकिन वह अपनी दो सीटें अलीगढ़-मेरठ भी नहीं बचा सकी. उसके हाथ कोई भी नगर निगम नहीं आया. सपा ने भी मेयर के चार मुस्लिम कैंडिडेट उतारे थे, लेकिन वह भी खाली हाथ रह गई. मेयर की सभी सीटों पर मुस्लिम खासी संख्या में हैं, लेकिन एक भी सीट न तो मुस्लिम कैंडिडेट जीत सके और न ही किसी और दल का खाता खुला. सभी 17 सीटें भारतीय जनता पार्टी के खाते में हैं.

मुरादाबाद में बस कांग्रेस कैंडिडेट ने BJP को दी टक्कर

मुरादाबाद में सपा-बसपा-कांग्रेस, तीनों ने मुस्लिम कैंडिडेट उतारे थे, लेकिन यहां का कांग्रेस कैंडिडेट ने भाजपा के विनोद अग्रवाल ने कड़ी टक्कर दी. वे करीब चार हजार वोटों से ही जीत दर्ज कर सके. इस सीट पर सपा-बसपा कैंडिडेट में किसी को भी 20 हजार वोट नहीं मिले, जबकि कांग्रेस कैंडिडेट लगभग 1.17 लाख वोट पाने में कामयाब रहे. मेरठ में भी भाजपा के हरिकांत अहलूवालिया जीते हैं. यहां सपा-बसपा के कैंडिडेट तीसरे-चौथे स्थान पर खिसक गए, जबकि ओवैसी की पार्टी नंबर दो रही. मेरठ में भी यह भ्रम टूटता दिखा कि मुस्लिम सपा या बसपा को ही वोट करता आया है.

BJP के 70 से ज्यादा मुस्लिम प्रत्याशी जीते

उधर, भारतीय जनता पार्टी ने निकाय चुनाव में मेयर सीट पर भले न किसी मुस्लिम को उतारा हो, लेकिन उसने करीब 400 मुस्लिम कैंडिडेट नगर पालिका, नगर पंचायत, पार्षद, सभासदों को बांटे थे. इनमें से 70 से ज्यादा जीत हासिल कर चुके हैं. नगर पंचायत अध्यक्ष के लिए कुल 32 टिकट भाजपा ने मुस्लिम समुदाय को दिए थे. इनमें से पांच नगर पंचायत भाजपा जीत चुकी है. इनमें हरदोई की गोपामऊ, सहारनपुर की चिलकाना, संभल की सिवसी समेत पांच सीटें भाजपा के मुस्लिम कैंडिडेट जीते हैं.

BJP को बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन मिला

भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने बताया कि हमें बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन मिला है. इस बार टिकटों की मांग बहुत ज्यादा थी. स्क्रीनिंग के बाद 395 को टिकट दिया गया. इनमें 50 फीसदी से ज्यादा पहली बार मैदान में उतरे. कुल 70 कैंडिडेट जीते हैं. उन्होंने बताया कि एक अच्छी बात यह देखने को मिली कि जहां पार्षद/सभासद के हमारे कैंडिडेट हजार-पांच सौ वोट पाए, उसी सीट पर भाजपा महापौर, नगर पालिका परिषद एवं नगर पंचायत अध्यक्षों को दो से तीन गुना वोट मिले हैं, जो मुस्लिम समाज के बीच भाजपा की स्वीकार्यता का स्पष्ट प्रमाण है.

रामपुर में भाजपा का मुस्लिम कैंडिडेट दूसरे नंबर पर रहा

कुंवर बासित कहते हैं कि अफजलगढ़ नगर पालिका हम सिर्फ पांच सौ वोट से हारे. रामपुर में भाजपा का मुस्लिम कैंडिडेट दूसरे नंबर पर रह गया. इस तरह देखने को मिल रहा है कि भाजपा को बड़े पैमाने पर मुस्लिम मतदाता समर्थन कर रहे हैं. इससे हम उत्साहित हैं. आगे के चुनाव में खूब मेहनत करते हुए मुस्लिम समाज को पार्टी के और करीब लाने में कामयाब होंगे.

मुसलमान वोट अब किसी एक दल का नहीं रह गया

पूर्वी उत्तर प्रदेश की राजनीति पर गहरी नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार एके लारी कहते हैं कि मुसलमान वोट अब किसी एक दल का नहीं रह गया है. जिसे यह गलतफहमी हो वो दूर कर ले. बीते तीन-चार चुनावों में भाजपा की बढ़त भी इसे पुख्ता करती है. यूपी की राजनीति में बड़ी सफलता के लिए मुसलमान वोट जरूरी हो चला है और भारतीय जनता पार्टी को लगातार मिलती कामयाबी, वोटों की बढ़त यह बताने को पर्याप्त है कि मुस्लिम मतदाता अब उसे स्वीकर करने से परहेज नहीं कर रहा है.

मुस्लिमों के बीच लोकप्रिय हो रही BJP

राजधानी लखनऊ में सक्रिय वरिष्ठ पत्रकार नवलकांत सिन्हा कहते हैं कि भाजपा के उदय के समय मुसलमान इसे अपना हितैषी नहीं मानते थे. पर, सरकार बनने के बाद जब धीरे-धीरे सरकारी योजनाओं का लाभ उन्हें भी मिलने लगा, चाहे वह एलपीजी कनेक्शन हो, जनधन हो, किसान सम्मान राशी हो या पीएम-सीएम आवास योजना का लाभ, तब उन्हें लगने लगा कि यह पार्टी भी हमारे बारे में सोचती है. निकाय चुनाव के हवाले से नवलकांत सिन्हा कहते हैं कि मुस्लिम मतदाता अब अच्छे कैंडिडेट को चुन रहे हैं. उनके लिए पार्टी अब उतना मतलब नहीं रख रही है, जितना कैंडिडेट.

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