अरबों का कारोबार, 14 लाख लोगों को रोजगार…मगर, एक चिट्ठी ने खत्म कर दिया ‘सहारा’ का खेल, सुब्रत रॉय को जाना पड़ा था जेल? पढ़ें…

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नई दिल्ली: किसी से सोचा नहीं होगा कि बिहार के अररिया से निकलकर एक साधारण सा लड़का कभी अरबों रुपये की कंपनी खड़ा कर देगा। एक शख्स जिसके पास खुद कभी 2000 रुपये नहीं थे, उसने लोगों को अमीर बनने का सपना दिखाया। स्कूटर से नमकीन और बिस्कुट बेचने वाला 2 लाख करोड़ की कंपनी का मालिक बन गया। गोरखपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने वाले सुब्रत रॉय ने एक कमरे, दो कुर्सी और एक सेकेंड हैंड स्कूटर के दम पर सहारा की शुरुआत की। 1978 में सिर्फ डेढ़ हजार के साथ उन्होंने 36 सालों में 2 लाख करोड़ का बिजनेस एंपायर खड़ा कर दिया। ये कहानी है सहारा परिवार के मुखिया सुब्रत रॉय सहारा की। मंगलवार देर रात उनका निधन हो गया।

बिहार के अररिया से निकलकर कोलकाता और फिर गोरखपुर पहुंचे सुब्रत रॉय ने अपने दोस्त के साथ मिलकर छोटी सी चिट फंड कंपनी की नींव रखी, नाम रखा सहारा। उन्होंने अपनी कंपनी से ऐसी स्कीम निकाली कि वो कुछ ही वक्त में गावं-गांव तक पहुंच गई। वो दौर कुछ ऐसा था कि 100 रुपये की कमाई वाले लोग भी 20 रुपये बचाकर सहारा के स्कीम में निवेश करते थे। इस स्कीम ने सुब्रत रॉय को सहारा श्री बना दिया। उन्होंने धीरे-धीरे अपना विस्तार किया। सहारा ने अपने पैर हाउसिंग डेवलपमेंट से लेकर रियल एस्टेट, फाइनेंस, इंफ्रास्ट्रक्चर, मीडिया, एंटरटेनमेंट, हेल्थ केयर, हॉस्पिटैलिटी, रिटेल, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी हर तरफ फैला लिया।

​14 लाख कर्मचारी​

सहारा का कारोबार इतना फैला कि रेलवे के बाद वो सबसे बड़ा रोजगार देने वाला समूह बन गया। सहारा परिवार मे 14 लाख लोग थे, जिन्हें सहाराश्री ने रोजगार दिया। बढ़ते कारोबार के साथ उनकी ताकत भी बढ़ रही थी। राजनीति से लेकर बॉलीवुड में उनकी पैठ बढ़ती जा रही थी। लंबे वक्त तक भारतीय क्रिकट टीम का स्पॉन्सरशिप सहारा के पास रखा। क्रिकेट के साथ-साथ सहारा ग्रुप हॉकी टीम को भी स्पॉन्सर किया। फॉर्मूला-वन रेस के बड़े स्टेक खरीदे। सहारा ने लखनऊ में भी खूब निवेश किया। उन्होंने सहारा सिटी, सहारा एस्टेट, सहारा होम्स बनाए। अस्पताल से लेकर मॉल कल्चर की शुरुआत की। मुंबई और लखनऊ समेत देश के कई इलाकों में जमीनें खरीदी। देश नहीं विदेशों में भी सहारा ने बड़ा निवेश किया। अमेरिका में 4400 करोड़ के 2 होटल खरीदें।

​एक गलती से सब तबाह​सब ठीक चल रहा था, लेकिन उनके बुरे दिनों की शुरुआत तब हो गई, जब उन्होंने शेयर बाजार में एंट्री का मन बनाया। उन्होंने साल 2009 में सहारा की 2 कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इंवेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड के लिए सेबी से आईपीओ लाने की अनुमति मांगी। इसके लिए सेबी ने उन्हें कंपनी से जुड़े विस्तृत दस्तावेज जमा करने को कहा। जैसे ही सहारा ने अपने पेपर जमा किए, सेबी को उसमें बड़ी गड़बड़ियां नजर आईं। सेबी ने पाया कि सहारा की कंपनियों ने बिना लिस्ट हुए ही 3 करोड़ लोगों से 24000 करोड़ रुपये जुटाए थे। इसके बाद सेबी की नजर सहारा की बाकी कंपनियों पर भी गई और सेबी ने सहारा पर 12000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया ।

​एक चिट्ठी ने खोल दी पोल​

खबरों की माने तो एक चिट्ठी ने सहारा की सारी पोल खोलकर रख दी। सहारा में चल रही कथित गड़बड़ियों का सारा कच्चा चिट्ठा खोल दिया था। 4 जनवरी, 2010 को रोशन लाल नाम के एक शख्स ने नेशनल हाउसिंग बैंक को एक चिट्टी लिखी। लेचर हिंदी में लिखा था। अपनी चिट्ठी में रोशन लाल का दावा था कि वह इंदौर में रहते हैं और पेशे से सीए हैं। इस चिट्ठी में उन्होंने लखनऊ के सहारा ग्रुप की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन की ओर से जारी बॉन्ड्स की जांच करने का अनुरोध एनएचबी से किया था। उनका कहना था कि बड़ी संख्या में लोगों ने सहारा ग्रुप की कंपनियों के बॉन्ड खरीदे हैं लेकिन ये नियमों के मुताबिक जारी नहीं किए गए हैं। इस चिट्ठी ने सहारा की मुश्किले बढ़ा दी। जांच के बाद उन्हें जेल तक जाना पड़ा।

​सहारा पर लगे आरोप​

सेबी ने अपनी जांच के बाद 24 नवंबर, 2010 को सहारा समबह पर जनता से पैसा लेने पर रोक लगा दी। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। कोर्ट ने सहारा को निवेशकों के 24029 करोड़ रुपए 15 फीसदी ब्याज के साथ लौटाने का आदेश दे दिया। कोर्ट के आदेश के बावजूद सहारा समूह की कंपनियां निवेशकों को भुगतान करने में असफल रही। कोर्ट ने सख्त एक्शन लेते हुए 4 मार्च 2014 को सुब्रत रॉय सहारा को जेल भेज दिया।

साभार – नवभारत टाइम्स

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