समुद्र के नीचे हैं Aliens? बेस बनाकर रहते होंगे, NASA के पूर्व रिसर्चर का नया दावा

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न्यूज़ डेस्क: एलियंस को लेकर आए दिन तमाम तरह के दावे किए जाते हैं. यूएफओ को इनसे जोड़कर देखा जाता है और कहा जाता है कि ये धरती पर बार बार आते हैं. ब्रिटेन में 2.5 साल के भीतर करीब 1000 यूएफओ दिखने का दावा किया गया है. इस दावे से पहले एक विशेषज्ञ ने बताया कि एलियंस डिटेक्ट किए जाने से बचने के लिए हमारे सोलर सिस्टम के ठीक बाहर अंधेरे स्थानों में छिपे हो सकते हैं. वहीं अब नासा के एक पूर्व रिसर्चर ने अनोखा दावा किया है.

महासागरों के नीचे हो सकते हैं एलियंस

उनका का मानना ​​है कि यूएफओ के पायलट हमारे महासागरों के नीचे हो सकते हैं. 2001 से 2005 तक नासा के Ames रिसर्च सेंटर में काम करने वाले एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद् केविन नुथ का मानना ​​है कि ऐसे कई कारण हैं कि एलियंस पृथ्वी की सतह के बजाय पानी के नीचे रहकर हमपर नजर रख रहे हों.

समुद्र एलियंस के लिए बेस्ट क्योंकि…

उन्होंने कहा- अगर वे छुपे रहना चाहते हैं तो समुद्र का तल उनके लिए बेस्ट जगह होगी. वे वहां बेस बनाकर रहते होंगे. उन्होंने थ्योरीज़ ऑफ़ एवरीथिंग पॉडकास्ट को बताया कि ‘पृथ्वी की सतह का 75% हिस्सा पानी है और वास्तव में हमारी उस पूरे पानी तक बहुत कम पहुंच है. इसलिए, ये एलियंस के छुपने के लिए सबसे सही जगह है.

हाल में देखे गए कई यूएफओ में ऐसे विमान शामिल हैं जो हवा और समुद्र के बीच सहजता से चलते प्रतीत होते हैं. केविन कहते हैं कि अगर वे एक्वेटिक एनवायरनमेंट से हुए तो उनके लिए ये और भी अच्छा होगा.

जमीन पर रहना मुश्किल 

उन्होंने कहा कि एटमोस्फेयर में हीट कैपेसिटी कम होती है, इसलिए तापमान में बहुत वेरिएशन होता है. आपको तापमान में भारी अंतर मिलता है. एक ग्रह से दूसरे ग्रह पर जाने पर, आपके वातावरण में तापमान में भारी भिन्नता होती है. मंगल ग्रह पर जाएं तो तापमान शून्य फ़ारेनहाइट से 100 डिग्री नीचे होगा. आप शुक्र ग्रह पर जाएं तो ये 800 डिग्री फ़ारेनहाइट होगा. केविन बताते हैं कि शुक्र पर वायुमंडल हमारी तुलना में लगभग 100 गुना अधिक डेंस है, जबकि मंगल ग्रह की हवा लगभग 100 गुना थिन है.

एलियंस को पानी में कोई समस्या नहीं

उन्होंने कहा, ऐसे में केवल सतह पर रहने में सभी प्रकार की समस्याएं हैं. लेकिन अगर आप समुद्र में रहते हैं, तो समुद्र वाले किसी दूसरे ग्रह पर जाना वास्तव में एक बहुत आसान होगा. ओशियन का तापमान 32 डिग्री फ़ारेनहाइट और 212 डिग्री फ़ारेनहाइट के बीच होगा. इसलिए, समुद्र से ओशियन तक, एक ग्रह से दूसरे ग्रह तक जाने पर तापमान में नाटकीय रूप से बदलाव नहीं होने वाला है.

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