दुनिया के इतिहास में कब लिया गया सबसे पहला Kiss? भारत से भी है इसका संबंध ! वैज्ञानिकों का खुलासा…

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न्यूज़ डेस्क: वैज्ञानिक अक्सर इतिहास के पन्नों से कुछ नया खुलासा करते हैं। अब वैज्ञानिकों ने सबसे पुराने किस के समय के बारे में बताया है। कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने मनुष्यों के बीच चुंबन के सबसे पुराने साक्ष्य की खोज की है। इनका उल्लेख लगभग 2500 ईसा पूर्व के प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। नए प्रकाशित निष्कर्ष बताते हैं कि कैसे शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि एक रोमांटिक चुंबन का पहला उल्लेख 4,500 साल पहले का है। इसका विवरण 1000 वर्ष पूर्व भारत के ऐतिहासिक ग्रंथों में दिया गया है। यह खोज डेनिश वैज्ञानिकों द्वारा मेसोपोटामिया से मिट्टी की गोलियों पर शोध करने के बाद की गई थी। ये गोलियां कांस्य युग की हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, सुमेरियन और अक्कादियन भाषाओं के सबसे पुराने जीवित दस्तावेजों में से एक में चुंबन का विवरण है।

मेसोपोटामिया के लोग ये दोनों भाषाएँ बोलते थे। माना जाता है कि इस भाषा में लेखन की शुरुआत लगभग 3200 ईसा पूर्व इराक में हुई थी। मेसोपोटामिया विश्वविद्यालय के चिकित्सा इतिहास विशेषज्ञ डॉ. ट्रोल्स पंक अर्बोल का कहना है कि प्राचीन मेसोपोटामियंस द्वारा मिट्टी की गोलियां क्यूनिफॉर्म लिपि में लिखी गई थीं। वे एक स्पष्ट उदाहरण प्रदान करते हैं जिसे प्राचीन काल में रोमांटिक अंतरंगता का एक हिस्सा माना जाता था। लोगों के बीच के रिश्तों में दोस्ती और परिवार का भी हिस्सा होता था।

चुंबन का जिक्र

चुंबन का उल्लेख 2500 ईसा पूर्व में मिलता है, जो स्पष्ट रूप से दो समूहों में विभाजित था। पहला दोस्ती या पारिवारिक स्नेह के रूप में, जबकि दूसरा विशुद्ध रूप से कामुक कृत्य के रूप में। शोध के अनुसार, तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व तक, चुंबन सेक्स, परिवार और दोस्ती के रिश्तों में रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा था। यह सिर्फ एक क्षेत्र की विशेषता नहीं थी, बल्कि पूरी दुनिया में फैली हुई थी।

डॉ. ट्रॉल्स का कहना है कि चुंबन को एक प्रथा के रूप में नहीं माना जाना चाहिए जो एक विशेष क्षेत्र में उत्पन्न हुआ और पूरे विश्व में फैल गया। ऐसा माना जाता है कि कई सदियों से कई प्राचीन संस्कृतियों में इसका उल्लेख किया गया है।

साइंस जर्नल में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, तब भी इंसानों ने अनुमान लगाया था कि किस करने से कई तरह के संक्रमण या वायरस फैल सकते हैं। उस समय के कई ग्रंथों में बुबुतु या बुशानु जैसी बीमारियों का जिक्र है। आज इस रोग को दाद के नाम से जाना जाता है।

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